2025 me Real estate me paise kaise kamaye

Real estate me paise kaise kamaye :- अब तक सिर्फ ऐसे दो ही इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स है जिनके बारे में कहा जाता है कि उनमें इन्वेस्ट करने से आप इन्फ्लेशन को बीट कर सकते हैं पहले है स्टॉक मार्केट इसके बारे में हम लोग अब तक बहुत कुछ जान चुके हैं और दूसरा प्रोडक्ट है रियल एस्टेट इसके बारे में हम आज जानने वाले हैं 

रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के टाइप्स

रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के टाइप्स की बात करें तो रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट बहुत टाइप के होते हैं जैसे रेजिडेंशियल इन्वेस्टमेंट कमर्शियल इन्वेस्टमेंट इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट और भी बहुत सारे अलग-अलग टाइप्स है पर आज हम जिन दो टाइप के बारे में बात करेंगे वह है रेजिडेंशियल इन्वेस्टमेंट एंड कमर्शियल इन्वेस्टमेंट रेजिडेंशियल इन्वेस्टमेंट कि अगर बात करें तो यह इन्वेस्टमेंट हमारी इंडियन सोसाइटी के हिसाब से हमेशा से एक जरूरी इन्वेस्टमेंट माना गया है

भले ही आजकल अधिकतर फाइनेंस इनफ्लुएंसर्स यही बोलते हैं कि घर खरीदने के बजाय घर रेंट पर लेना ही बेटर है पर हमारे पेरेंट्स और परिवार के बड़े बुजुर्गों की हमेशा से यही एडवाइस रही है कि बाकी जगह बाद में इन्वेस्टमेंट करना सबसे पहले घर खरीदने पर ही इन्वेस्टमेंट करना चाहिए अब घर लेने के क्या फायदे हैं इन सब के बारे में हम थोड़ा बहुत आगे जरुर जानेंगे अभी बात करते हैं कमर्शियल इन्वेस्टमेंट की कमर्शियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने का आप पर फैमिली प्रेशर तो कभी नहीं होगा पर यह वह इन्वेस्टमेंट है जिसमें आप इन्वेस्ट करके रेंट से बहुत अच्छा पैसा कमा सकते हैं और इस प्रॉपर्टी की वैल्यू भी समय के हिसाब से बहुत अच्छी बढ़ती है लेकिन एक बात पर हमेशा ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि सिर्फ प्रॉपर्टी लेने से प्रॉपर्टी की वैल्यू बड़े वह जरूरी नहीं प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ाने के लिए काफी सारे फैक्टर होते हैं जिनके बारे में हमें ध्यान रखकर प्रॉपर्टी खरीदनी होती है और वह फैक्टर क्या है उनके बारे में हम आज इस बाइट में जानेंगे आज के इस शो में हम जानेंगे की प्रॉपर्टी खरीदने टाइम हम लोगों को कौन सी बेसिक चीजों का ध्यान रखना है जिससे हमारी प्रॉपर्टी के इन्वेस्टमेंट पर हमें अच्छा रिटर्न मिल सके

इससे पहले कि हम वह पांच कारण जाने जिससे रियल एस्टेट के प्राइस बढ़ाते हैं हमारा इनका इंपॉर्टेंट जानना बहुत जरूरी है सबसे पहले हम रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट की इंपोर्टेंस को समझते हैं

घर खरीदने में इन्वेस्टमेंट करने की सबसे बड़ी इंपॉर्टेंस यही होती है कि हमारे पास एक रहने का ठिकाना हो जाता है

दूसरी सबसे बड़ी बात यह कि उसे घर का उसे सिर्फ हम ही नहीं बल्कि हमारी नेक्स्ट जेनरेशन भी करती है और अगर अभी देखा जाए तो हम में से बहुत सारे ऐसे पुरानी जनरेशन के बने हुए घर में ही रह रहे होंगे रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने की दूसरी इंपॉर्टेंट यह है कि आपको अपनी प्रॉपर्टी पर आने वाले टाइम पर एक अच्छा खासा रिटर्न मिल जाता है अगर आप अपने शहर की प्रॉपर्टी रेट के बारे में थोड़ी जानकारी निकले तो आपको यह जानने में जरूर मिलेगा कि पिछले 12 साल में ही प्रॉपर्टी के प्राइस 30 से 40 परसेंट तक बढ़ चुके हैं

Real Esatate Investing Importance

रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने की तीसरी सबसे बड़ी इंपॉर्टेंस यह है कि आपको रेंटल इनकम भी मिल जाती है हालांकि यह रेंटल इनकम वाली इंपॉर्टेंस उन्हीं लोगों पर अप्लाई होती है जिनके पास एक से ज्यादा प्रॉपर्टी हो या फिर अगर कोई प्रॉपर्टी खरीद कर किसी कारण से दूसरे शहर में शिफ्ट हो जाता है

अब थोड़ी बात करते हैं कमर्शियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने की इंपोर्टेंस पर कमर्शियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करने की सबसे बड़ी इंपॉर्टेंट सी है कि इससे आपका किराया बच जाता है और आपका प्रॉफिट बढ़ जाता है प्रॉफिट बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण होता है कि अगर आप खुद की खरीदी हुई दुकान पर अपना बिजनेस करते हैं तो आपका रेंट का एक फिक्स खर्चा कम हो जाता है और इसका सीधा असर आपके प्रॉफिट पर ही आता है

कमर्शियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने की दूसरी सबसे बड़ी इंपोर्टेंस है कि रेंटल इनकम अच्छी कमा सकते हैं क्योंकि कमर्शियल प्रॉपर्टी की रेंटल इनकम रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी से ज्यादा ही होती है इसलिए अधिकतर लोग इसको ही रेंट पर देना प्रेफर करते हैं और रेंटल इनकम से अपनी एक पैसिव सोर्स ऑफ़ इनकम बना लेते हैं तो यह थी रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट करने की कुछ इंपॉर्टेंस के प्राइस बढ़ाते हैं

Real Esatate Investing Factors

रियल एस्टेट प्रॉपर्टी के प्राइस दो बड़े फैक्टर के कारण ऊपर नीचे होते हैं

पहले है मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर यानी कि ऐसे फैक्टर जो किसी मार्केट या परसों के कंट्रोल में नहीं होते हैं और इनका रियल एस्टेट पर डायरेक्ट इंपैक्ट भी नहीं होता है यह फैक्टर रियल एस्टेट की डिमांड एंड सप्लाई पर थोड़ा बहुत असर तो डालते ही है पर मैक्रोइकोनॉमिक्स फैक्टर में क्या-क्या आते हैं उनके बारे में थोड़ी सी बात करते हैं मैक्रोइकोनॉमिक्स फैक्टर में सबसे पहले आती है देश की जीडीपी अगर देश की जीडीपी बढ़ रही है तो कहीं ना कहीं इससे देश के रियल स्टेट के भी प्राइस बढ़ेंगे

दूसरा फैक्टर है पापुलेशन ग्रोथ का अगर किसी सिटी में पापुलेशन ज्यादा है तो इस सिटी के रियल एस्टेट प्राइसेज भी ज्यादा होंगे तीसरा फैक्टर है अपॉइंटमेंट अगर किसी सिटी में अपॉइंटमेंट की अपॉर्चुनिटी ज्यादा है तो उसे सिटी में भी रियल एस्टेट के प्राइस ज्यादा होंगे क्योंकि उसे सिटी की पापुलेशन ज्यादा होगी आप इस चीज के लिए एग्जांपल के तौर पर मुंबई को समझ सकते हैं

सबसे में माइक्रोइकोनॉमिक फैक्टर इकोनामिक फैक्टर्स के बारे में बात करेंगे तो उनमें है होम लोन इंटरेस्ट रेट जो जितनी कम होगी उतने ही ज्यादा लोग लोन के लिए अप्लाई करेंगे क्योंकि काम एमी देकर एक अच्छी प्रॉपर्टी मिल जाएगी

फिर आता है इन्फ्लेशन अगर इन्फ्लेशन काम होगा तो लोगों के पास ज्यादा पैसे बचेंगे जैसे वह किसी प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच सकेंगे स्टॉक मार्केट का भी असर कहीं ना कहीं रियल एस्टेट के प्राइस पर ही पड़ता है क्योंकि अगर स्टॉक मार्केट से लोग ज्यादा पैसे कमा रहे हैं तो वह सेकंड ऑप्शन आफ इन्वेस्टमेंट के लिए रियल एस्टेट को ही चुनते हैं अब हमारी इकोनॉमिक्स पर चली आ रही क्लास को यहीं खत्म करते हैं मैक्रोइकोनॉमिक्स फैक्टर को आप और मैं किसी भी हालत में चेंज नहीं कर सकते इसलिए इस डिस्कशन को छोटा ही रखकर और करते हैं क्योंकि मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर के बारे में जितना जानना हमारे लिए जरूरी था हम जान चुके हैं

Real Esatate Investing Location

आप जानते हैं माइक्रोइकोनॉमिक फैक्टर के बारे में कंट्रोल में होते हैं और यही वह फैक्टर है जिनको हमें ध्यान में रखकर कोई भी प्रॉपर्टी खरीदनी है क्योंकि माइक्रोइकोनॉमिक फैक्टर की इंपोर्टेंस बहुत ज्यादा है और इनको हमें पूरी डिटेल में समझना है इसलिए हम इन्हें आगे आने वाले सारे एपिसोड में बहुत ही अच्छे से और डिटेल में समझेंगे

रियल एस्टेट प्रॉपर्टी खरीदने टाइम एक चीज का ध्यान रखना सबसे जरूरी है और वह है कि आप जो भी प्रॉपर्टी ले रहे हैं वह आपके सिटी के किस हिस्से में लोकेटेड है अब आप चाहे रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी ले या फिर कमर्शियल प्रॉपर्टी ले आपको उसकी लोकेशन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है

अब हमें लोकेशन के बारे में क्या-क्या ध्यान रखना है उसे बारे में थोड़ा डिस्कस करते हैं

रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने टाइम हमें लोकेशन को लेकर जो ध्यान रखना है वह कुछ इस टाइप से पहले तो हमें यह देखना है कि आप जो घर ले रहे हैं वह आपके ऑफिस या फिर आपके वर्किंग प्लेस से कितना दूर है अगर आपका घर आपके वर्किंग प्लेस ज्यादा दूरी पर है तो फिर आपको इस चीज का ध्यान रखना होगा कि आपके घर के पास ही बस स्टॉप हो या फिर आपके घर से आपके ऑफिस जाने का कोई अच्छा रास्ता है या नहीं यह भी देखना जरूरी है इसके बाद हमें यह देखना है कि जहां हम घर खरीदने वाले हैं वहां से हमारी बाकी जरूरत की चीज जैसे अस्पताल और स्कूल कितने दूर है और इसके साथ-साथ हमें यह भी ध्यान रखना है कि घर की लोकेशन से कितना दूर है क्योंकि अगर हमें हमारे बेसिक नीड्स को भी पूरा करने के लिए 5 से 10 किलोमीटर जाना पड़े तो हमारी परेशानी भी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी इन सब के साथ-साथ हमें यह भी ध्यान रखना है कि हम जिस जगह भी अपना घर ले वहां पर आने वाले 10 सालों में प्रॉपर्टी की प्राइस बढ़ेंगे या नहीं हालांकि अगर घर आप ऑफिस स्कूल हॉस्पिटल या सुपरमार्केट से कनेक्टिविटी को ध्यान में रखकर और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा के हिसाब से लेते हैं तो 90% चांस है कि आप किसी अच्छी ही लोकेशन पर घर ले रहे हो और आने वाले समय में वहां पर प्रॉपर्टी का प्राइस बढ़ने ही वाला है

आप कमर्शियल प्रॉपर्टी को खरीदने टाइम हमें लोकेशन के बारे में किन चीजों का ध्यान रखना है उसके बारे में जानते हैं हम कमर्शियल प्रॉपर्टी का उसे बिजनेस करने के लिए ही करते हैं और किसी भी बिजनेस की सक्सेस के पीछे होते हैं उसके नंबर्स इसलिए नहीं है कि हम जिस भी जगह अपनी प्रॉपर्टी ले रहे हैं वहां हमारे बिजनेस के टारगेट कस्टमर है या नहीं और

दूसरी चीज जो हमें कमर्शियल प्रॉपर्टी के लोकेशन के बारे में ध्यान में रखनी है वह यह कि हम जहां भी प्रॉपर्टी ले रहे हैं वहां से रोड कनेक्टिविटी अच्छी है या नहीं क्योंकि अगर रोड खराब होती है तो ना तो कस्टमर आएंगे और ना ही हमारे रॉ मटेरियल की डिलीवरी हो पाएगी इन सब बातों के साथ-साथ हमें यह भी ध्यान रखना है कि हमारी प्रॉपर्टी के अंदर या फिर उसके आसपास पार्किंग की सुविधा है या नहीं और जहां भी हम प्रॉपर्टी ले रहे हैं वहां पर ट्रैफिक जाम लगता है या नहीं इसका भी ध्यान देना है क्योंकि अगर ज्यादा ट्रैफिक जाम लगेगा तो कस्टमर हमारी प्रॉपर्टी पर आना अवॉइड करेंगे तो यह थी लोकेशन से रिलेटेड चीज जिन्हें हमें रियल एस्टेट प्रॉपर्टी खरीदने टाइम ध्यान रखना है

Real Esatate Investing Neighbours

आप जब हमारी रियल एस्टेट को बाय करने की लोकेशन फिक्स हो चुकी है तो आप हमारा नेक्स्ट स्टेप है कि हम यह जाने की हम जहां प्रॉपर्टी ले रहे हैं उसके आसपास माहौल कैसा है और हमारे पड़ोसी कैसे आसपास के लोगों की जानकारी होना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि हम जो भी प्रॉपर्टी लेते हैं यही सोच कर लेते हैं कि वहां काम से कम 20 से 25 साल तो निकालेंगे ही अब हमें आसपास के बारे में क्या जानकारी होनी चाहिए इस चीज को हम रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी और कमर्शियल प्रॉपर्टी दोनों के नजर से समझते हैं

पहले बात करते हैं रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के आसपास की चीजों के बारे में सब की राय अलग हो सकती है हो सकता है किसी को शोर शराबा पसंद हो या फिर किसी को बिल्कुल ही शांति चाहिए अपने आसपास में हो सकता है किसी को अपनी सोसाइटी या कॉलोनी में गार्डन चाहिए हो या फिर कोई सिर्फ जिम मिल जाने से ही खुश हो इसलिए आसपास का एरिया कैसा हो यह सब अपने-अपने हिसाब से देख लेंगे पर पड़ोसी कैसा होना चाहिए इसके बारे में हम सब की एक ही राय है कि भाई बस तारक मेहता वाले पड़ोसी मिल जाए यानि की अच्छे पड़ोसी मिल जाए

अगर आप दूसरी सिटी में ले रहे हैं या फिर अपने ही सिटी में दूसरे कोने में घर ले रहे हैं इन दोनों केस में आप अपनी कम्युनिटी से दूर ही जा रहे हैं इसलिए अधिकतर लोग अपनी कम्युनिटी के लोगों के आसपास ही घर लेना पसंद करते हैं ताकि त्यौहार साथ मना सके कम्युनिटी के अलावा आप यह भी देख सकते हैं कि आपके पड़ोस में रहने वाला इंसान काम क्या कर रहा है क्योंकि अक्सर एक जैसा काम करने वाले लोगों में बनती बहुत है क्योंकि वह लोग एक ही सिचुएशन से गुजर चुके हैं या फिर गुजर रहे हैं अक्सर यही ट्रेंड देखा जाता है कि जिस बिल्डिंग में आईटी में काम करने वाले लोग या फिर डिफेंस या मेडिकल से रिलेटेड लोग रहते हैं वहां पर प्राइस बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं

अब बात करते हैं कमर्शियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करते टाइम हमें आसपास के बारे में क्या ध्यान रखना है कोई भी बिजनेस यही सोचकर स्टार्ट किया जाता है कि इससे हम लोग अच्छा प्रॉफिट ही ऑन करेंगे और यह बिजनेस लंबे टाइम तक चलेगा लेकिन अगर आप आपका बिजनेस आपके कंपीटीटर के पड़ोस में खोलते हैं तो क्या आपका बिजनेस लंबे टाइम तक चल पाएगा लंबे टाइम तक चल पाना तो बहुत दूर की बात है हो सकता है शायद आपका बिजनेस कभी प्रॉफिट ही नहीं काम पे और आपको उसे जल्द से जल्द बंद करना पड़ जाए

इसलिए कमर्शियल प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करते टाइम हमें यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि हम कहीं हमारे कंपीटीटर के पास ही तो नहीं प्रॉपर्टी ले रहे हैं वैसे अगर आप कमर्शियल प्रॉपर्टी अपना बिजनेस स्टार्ट करने के लिए नहीं बल्कि लीज पर लेने के लिए सोच रहे हैं तो आपको यह देखना जरूरी है कि आसपास में दुकान है या नहीं क्योंकि अगर मार्केट सेटअप है तो वहां और भी लोग अपना बिजनेस जरूर स्टार्ट करेंगे और रेरा की वेबसाइट पर जाकर चेक कर सकते हैं रेरा की वेबसाइट पर आपको प्रोजेक्ट से रिलेटेड सारी जानकारी मिल जाएगी जैसे की बिल्डिंग का पोजीशन कब तक मिलेगा बिल्डिंग में कितने फ्लैट बुक हो चुके हैं प्रोजेक्ट प्लान का एरिया कितना है

Real Esatate Investing Background Check

इन शॉर्ट आपको रेरा की वेबसाइट पर आपके प्रोजेक्ट से रिलेटेड पूरी डिटेल्स मिल जाएगी वैसे रेरा क्या होता है इसके बारे में थोड़ा सा जान लेते हैं रेरा का मतलब है रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट 2016 जो कि आपके और मेरे जैसे बायर्स के इंटरेस्ट को ध्यान में रखकर बनाया गया है इस ऐप को बायर्स को बिल्डर के साइड से होने वाले किसी भी फ्रॉड से बचने के लिए बनाया गया है रेरा के बारे में इन डिटेल जानकारी होना बहुत जरूरी है और रेरा टॉपिक भी बहुत बड़ा है तो अगर आपको रेरा के बारे में डिटेल जानना है तो हमें कमेंट सेक्शन पर जरूर बताएं

अब बात करते हैं अगर हम जमीन का टुकड़ा ले रहे हैं तो हमें कैसे लीगल बैकग्राउंड चेक करना होगा जमीन लेते टाइम हमें जो सबसे जरूरी चीज ध्यान रखती है वह है की जमीन की ओनरशिप एकदम क्लियर हो यानी कि ऐसा ना हो कि हम कोई ऐसी जमीन ले ले जिस पर ऑलरेडी ओनरशिप को लेकर कैसे चल रहा हो और उसे जमीन के ऑलरेडी काफी सारे ऑनर्स हो तो भी हमें जितना हो सके उसे जमीन को इग्नोर करना है जमीन लेते टाइम हमें यह बात और ध्यान रखती है कि उसे जमीन का नक्शा एकदम क्लियर होना चाहिए और जमीन के मालिक का जमीन की बाउंड्रीज को लेकर कोई लीगल डिस्प्यूट नहीं होना चाहिए यह तो थी लीगल बैकग्राउंड चेक करने से रिलेटेड चीज जिन्हें हमें रियल एस्टेट प्रॉपर्टी खरीदने टाइम ध्यान रखना है रियल एस्टेट प्रॉपर्टी जितने ज्यादा लीगल डिस्प्यूट से दूर होगी उतने ही ज्यादा उसके प्राइस पड़ेंगे

Real Esatate Investing Loan Amount

आज पड़ोस देख लिया है अच्छे तरीके से लीगल बैकग्राउंड भी चेक कर लिया है और अपने-अपने हिसाब से वस्तु भी चेक कर लिया है तो आप टाइम है प्रॉपर्टी को खरीदने का प्रॉपर्टी को खरीदने टाइम अक्सर यही होता है कि हम कुछ अमाउंट अपनी तरफ से लेते हैं और बाकी का लोन करवाते हैं हमें कितना लोन कितने इंटरेस्ट रेट पर मिलेगा यह पूरी तरह से सिबिल स्कोर पर ही डिपेंड करता है इसलिए एग्रीमेंट पेपर पर साइन करने से पहले एक बार चेक कर ले कि आपको आपके सिविल पर कितना लोन मिल सकता है और लोन अपनी कैपेसिटी के हिसाब से ही लें क्योंकि एक बार एमी करना चालू हुआ तो फिर बहुत लंबे टाइम के लिए आपका फिक्स खर्चा बन जाएगा यानी चाहे कुछ भी हो आपको ईएमआई के अमाउंट का बंदोबस्त हर महीने की ड्यू डेट पर करना ही है जितना हो सके अपनी प्रॉपर्टी पर हंड्रेड परसेंट बैंक फंडिंग करवाने से बच्चे क्योंकि इससे आपका इंटरेस्ट रेट जरूरत से ज्यादा बढ़ जाएगा है लकी इंटरेस्ट रेट क्या होगा इसके बारे में हम डिस्कस नहीं कर सकते क्योंकि यह हर बैंक के हिसाब से अलग-अलग रहती है

Summary

अब हम रियल एस्टेट इन्वेस्टिंग के बारे में काफी कुछ जान चुके हैं और आप वक्त है इन सब कर्म को ध्यान में रखते हुए प्रॉपर्टी खरीदने का अगर आपको एकदम सस्ती प्रॉपर्टी खरीदनी है तो आप यहां बताई हुई चीजों से एकदम उलट जाकर खरीदें लेकिन हां प्रॉपर्टी के प्राइस फ्यूचर में बढ़ाने के चांसेस बहुत कम होंगे लेकिन अगर आप कोई भी प्रॉपर्टी ऊपर बताएं पांच पॉइंट में फिट बैठ लेते हैं तो भले ही वह थोड़ी सी ज्यादा महंगी पड़ेगी लेकिन उसका फायदा यह रहेगा कि आने वाले समय में उसके प्राइस बहुत ही अच्छे तरीके से बढ़ेंगे इकोनामिक कर्म से प्राइस जरूर बढ़ाते हैं लेकिन उसे पर हमारा कंट्रोल नहीं है इसलिए कह सकते हैं कि वह पांच कारण जिससे रियल एस्टेट के प्राइस बढ़ाते हैं वह है लोकेशन आसपास का एरिया प्रॉपर्टी का लीगली क्लियर होना वस्तु और इजीली सैलरी पर लोन लेना

Leave a Comment